मुझे याद है जब मै गाँव में रहता था उस समय मै लगभग ग्यारह या बारह वर्ष का था | गाँवो में भोजपुरी का बोलबाला था और हर समय लोग मिलजुलकर रहा करते थे चाहे होली या अन्य त्यौहार या कठिन परिस्थतियो में और तो और अगर गाँव में किसी को बीमारी हो जाती और उसके पास ईलाज के लिए पूरा पैसा नहीं होता तो गाँव वाले मिलकर-जुलकर चन्दा लगाते और दे देते या तो कभी-कभी मूर्ति पूजन के लिए भी चन्दा लगाया करते थे | अगर गाँव में किसी बात को लेकर झगड़ा होता तो मामला पुलिस तक नही जाता झगड़े को पंचायत से सुलझाया जाता | गाँव के बीच छायादार पेड़ के निचे पंचायत बुलाई जाती और चौपाल लगाया जाता था तब गाँव का मुखिया बोलते कि दोनों पक्ष अपना-अपना समस्या को प्रकट कीजिए इस समस्या को पंचलोग ध्यान से सुनते और पंच अपनी-अपनी  की राय सुनाते और मुखिया अन्त में सोच-समझकर फैसला सुनाते, और मुखिया जी के बातो को दोनों पक्ष स्वीकार करते |
पहले गाँवों में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली था और चारो ओर पेड़-पौधे उसमें जंगली जानवर भी रहा करते थे | सबसे अच्छा तो पक्षियों का सुनहरा गीत सुनने में अच्छा लगता था , जब सूर्योदय होता तब पक्षी चहचहाने लगती |


लेकिन इस समय ऐसा कुछ नही है सब समय का खेल है इसलिय किसी ने सछ ही कहा है –
      समय करे नर क्या करे, समय समय की बात |
      कभी समय के दिन बड़े, कभी समय कि रात ||
अब देखो चारो तरफ हरियाली की जगह प्रदूषण फैला हुआ है चाहे वो गाँव हो या शहर हो सब जगह प्रदूषण ही प्रदूषण है अब तो शहरो में ही नही गाँवों में भी पेड़ इस तरह काटा जाने जैसे मानो सड़को से कचरा को हटाया जा रहा है |
जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है दिन प्रतिदिन पेड़ो कि कटायी हो रही है और हरियाली नाम की शब्द सुनने को नहीं है जब भी सुनने में आ रही है कि प्रदूषण से इतने लोग ग्रसित है, अस्पतालों में मरीजों कि संख्या प्रदूषण से बढ़ती ही जा रही है |


पहली बार की दोस्ती

 

जब गाँव में मै कक्षा सात में पढ़ रहा था उस समय मेरे तीन दोस्त थे हमलोग हमेशा साथ-साथ पढने जाया करते थे | हमलोगो के घर से स्कूल की दुरी लगभग तीन किमी० था रास्ते में ही जंगल पड़ता था, हमलोग रोज पैदल ही पढने जाते थे | एक बार ऐसा हुआ कि हमलोग पढने जा रहे थे कि अचानक एक बन्दर हमलोगों पर हमला करना चाहा हमलोग वहा से तेजी से दौड़ने लगे और बन्दर हमलोगों के पीछे दौड़ता चला आ रहा था हमलोग और तेज दौड़ने लगे कुछ देर बाद देखा तो बन्दर बहुत दुरी पर ही रुक गया था | तब हमलोग धीरे-धीरे चलने लगे तभी परियों जैसी एक लड़की दिखी वह मुझसे बोली मेरी सहायता करो सहायता करो क्योकि वह लड़की मुसीबत में फस गयी थी | जब मै उसको देखा तो डर ही गया क्योकि इतने घने जंगल में इतनी सुंदर लड़की क्या कर रही है वो भी अकेले क्योकि इस जंगल  में अनेको प्रकार के जंगली जानवर रहते है |
आखिर मैंने पूछ ही लिया कि तुम इस जंगल में क्या कर रही थी , तब लड़की ने बोली मै इस रास्ते से अंजान हू मै नही जानती थी कि इस जंगल में जंगली जानवर रहते है इसलिए मै इस जंगल में अपने पापा कि गाड़ी से उतर गयी क्योकि मुझे जंगलो में पशु-पक्षीयों का फोटो खीचने में  अच्छा लगता है |
मै अपनी गाड़ी से उतर कर जंगल के अंदर चली गयी और फोटो खिचने लगी मै इतनी व्यस्त हो गयी कि समय का पता ही नही चला मै आगे बढ़ती चली गयी तब तक एक भालू दिखा मै वहा से दौड़ने लगी| तब मैंने पूछा फिर क्या हुआ कि तुम इस झाड़ी में फस गयी हो
, वह बोली की मै इस झाड़ी में ही छुपी थी | मैंने उसको बाहर निकाला फिर उसने पूछा कि आपलोग किस स्कूल में पढ़ते हो, मै अपने स्कूल का नाम बताया तब वह कहने लगी कि हमारा भी उसी स्कूल में नाम लिखवाना है | मै शहर से आयी हू क्योकि मुझको गाँव  में रहना अच्छा लगता है | मै फिर बोला जल्दी चलो नही तो स्कूल में देर से पहुचेंगे और गुरूजी से मार खाना पड़ेगा हमलोग धीरे-धीरे चलने लगे | लड़की बोली आपलोग कौन सी कक्षा में हो,हमलोग एक साथ ही बोल पड़े सात में | मै लड़की से पूछा तुम पहले भी गाँव में रह चुकी हो उसने कहा हँ मै पहले भी गाव में रह चुकी हू मुझे याद है कि जब दो या तीन में पढ़ रही थी तभी मेरी मम्मी मुझको दिल्ली लेकर चली गयी| मुझे शहर जाने का मन न था लेकिन बात यह थी कि अगर मै शहर न जाऊंगी तो अकेले यहा किसके साथ रहूगी इसलिए मै भी शहर चली गयी  |
अब मै गाँव में ही रहूँगी और पढायी भी करूँगी मुझे कक्षा नौ नाम लिखवाना है | मैनै उस लड़की का नाम और गाँव  पूछा उसने अपना नाम ७८६ बताया और उसने जो गाँव का नाम बताया वह गाँव मेरे गाँव से दो किमी० पीछे था मुझे वह लड़की बहुत अच्छी लगी मैंने कहा कि मुझसे दोस्ती करोगी वह कुछ देर बाद हसकर बोली क्यों नही मै आपकी दोस्त तो बनूंगी लेकिन आप अपना दोस्ती निभाओगे न |
मैंने कहा मै अपना दोस्ती हमेशा निभाऊंगा तो वह बोली मै दोस्ती के लिए तैयार हू, अब हमलोग स्कूल के नजदीक पहुच चुके थे | जब हमलोगों ने स्कूल के पास पहुचा तो देखा ७८६  के पापा स्कूल के दरवाजे पर खड़े थे ७८६ ने अपने पापा से हमलोगों को मिलवाया और अपने साथ बीती हुई घटना को बताया उसके पापा ने हमलोगों को धन्यवाद किये और कहे अच्छा हुआ कि तुमलोग इसके दोस्त भी बन गये हो क्योकि ७८६ इस विद्यालय में नयी है, हमलोग अपने कक्षा में चले गये |


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