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NIELIT COLLEGE GORAKHPUR CAMPUS DATE 18/08/2016 पूज्य चाचा जी , सादर प्रणाम , (आपने अपने पत्र में मेरे भावी कार्यक्रम के विषय में पूछा है ) MR S K KUMAR जैसे मैंने आपसे पहले भी कहा था , मै बी० फार्मा करना चाहता हू | इंजीनियरिंग में जाने की मेरा रुची नहीं हो रहा है ,तथा ए० बी० बी० एस० का खर्च बहुत है ,अत: मैंने बी० फार्मा में प्रवेश के लिए गोरखपुर से आवेदन पत्र भेजे है | यदि यहाँ कही प्रवेश नही मिलता तो फिर मथुरा या बंगलुरु जाने का निश्चय किया है | बी० फार्मा करने के बाद मेरा एम० फार्मा या एम० बी० ए० करने का विचार है | ताकि मुझे किसी बड़ी कम्पनी में अच्छी नौकरी मिल सके | यदि आपका और परिवार का आशीर्वाद तथा भगवान की कृपा रहा तो मुझे मेरे जीवन का भावी योजनाओं में सफलता अवश्य मिलेगा | अन्त में चाचा जी व परिवार के सदस्यों को सादर प्रणाम |
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RESUME MD RAHMAT ALAM Mobile-9034859294 Email-rahmatcm40@gmail.com Career objective To work in a challenging environment demanding all my skills and efforts to contribute the development of organization and myself with impressive performance. Education v Completed Diploma in computer science Engineering from MANUU Darbhanga in 2012-2015 (percentage-73%) v Completed 10 th From B.S.M.E.B PATNA in 2011 (percentage-62.75%) Key skill v Innovative and creative PERSONALITY v Positive attitude v Good communication skill v Good decision making skill & pressure bearing capacity IT Skills v MS-office (Word, Excel, PowerPoint) v Operating system windows2000,7,8,10 v C , C++, HTML,JAVA v Assembl
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मुझे याद है जब मै गाँव में रहता था उस समय मै लगभग ग्यारह या बारह वर्ष का था | गाँवो में भोजपुरी का बोलबाला था और हर समय लोग मिलजुलकर रहा करते थे चाहे होली या अन्य त्यौहार या कठिन परिस्थतियो में और तो और अगर गाँव में किसी को बीमारी हो जाती और उसके पास ईलाज के लिए पूरा पैसा नहीं होता तो गाँव वाले मिलकर-जुलकर चन्दा लगाते और दे देते या तो कभी-कभी मूर्ति पूजन के लिए भी चन्दा लगाया करते थे | अगर गाँव में किसी बात को लेकर झगड़ा होता तो मामला पुलिस तक नही जाता झगड़े को पंचायत से सुलझाया जाता | गाँव के बीच छायादार पेड़ के निचे पंचायत बुलाई जाती और चौपाल लगाया जाता था तब गाँव का मुखिया बोलते कि दोनों पक्ष अपना-अपना समस्या को प्रकट कीजिए इस समस्या को पंचलोग ध्यान से सुनते और पंच अपनी-अपनी की राय सुनाते और मुखिया अन्त में सोच-समझकर फैसला सुनाते, और मुखिया जी के बातो को दोनों पक्ष स्वीकार करते | पहले गाँवों में चारो तरफ हरियाली ही हरियाली था और चारो ओर पेड़-पौधे उसमें जंगली जानवर भी रहा करते थे | सबसे अच्छा तो पक्षियों का सुनहरा गीत सुनने में अच्छा लगता था , जब सूर्योदय होता तब पक्षी चहचहाने लग